मेरी कवितायें

मेरे जीवन में
मेरा  कविता संग्रह   

ईश कृपा

चिदानन्द,मृत्युंजय है प्रभु 
सृष्टि का है वह निर्माता
कोई प्रभु को ढूंढ न पाता
चूंकि सब में है वह  समाता। 

अभयंकर विश्वेश्वर प्रभु की 
लीला हरती कष्ट मेरे
 कष्ट मेरे ही कर्मों का फल 
फिर क्यूं हरता  कष्ट मेरे।

दुःख अहि नित नव परिवर्तित हो 
निसिवासर जब डसे मुझे 
छवि वो सुन्दर मन मंदिर की 
ध्या कर करती शान्ति प्रिये ।

मुश्किल घड़ियों में वह प्रभु 
मुश्किल करदे आसान मेरी 
क्षण भर में परिवर्तित वह
 रूदनको करता हास मेरी ।

कारज पूरन कैसे होते 
यह मुझको है नहीं पता 
ईश कृपा की पात्र हूँ मैं
 इतना ही बस मुझे पता ।

*रेखा रानी शर्मा*